साँझ

Sanjh, e-magzine

संपादिका - अंकिता पंवार
सहसंपादक - सुधीर मौर्य 'सुधीर'































Friday 1 June 2012

जून २०१२ व्यंग - मृदंग



स्वप्निल शर्मा


कुर्सी पर सवार लोकतंत्र 



घोडा घास 
चर गया



और आदमी अखबार.
इस फर्क को ढूढने में
जिन्दगी हो गई बीमार.

कब तक गुनगुने वादों के मन्त्र
यहाँ कुर्सी पर सवार हे लोकतंत्र.

हर कोई खिंच रहा हे
अपने साथ भीड़ को
भीड़ ढूंढ़ रही हे
एक अदद नीड़ को.

अब सोच के सन्दर्भ उखाड़ते जा रहे हे
सावधान हम खड़े हे, राष्ट्रगीत वो गा रहे हे.

ब्लाक कालोनी, मानवर
जिला- धार
४५४४४६ 

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